रांची: झारखंड स्वशासी परिषद (जैक) के पूर्व उपाध्यक्ष एवं झारखंड मज़दूर मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. सूरज मंडल ने हाल ही में प्रेस क्लब में मीडिया से बातचीत करते हुए झारखंड आंदोलन के असफल होने के पीछे के कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में शुरू हुए इस आंदोलन को बिहार के नेताओं ने हमेशा से आदिवासी और मूलवासी समुदायों के बीच फूट डालकर कमजोर किया। इन नेताओं ने साजिश रचते हुए आंदोलन को असफल बनाने की कोशिश की, जिसका परिणाम यह हुआ कि झारखंड आंदोलन अपने उद्देश्य को पूरी तरह से प्राप्त नहीं कर सका।
सूरज मंडल ने यह भी घोषणा की कि झारखंड आंदोलन को एक नई दिशा देने के लिए इसे फिर से प्रारंभ किया जाएगा। इसके लिए आंदोलनकारियों को एकजुट करने की पहल की जाएगी और पांच प्रमंडलों में बैठकें आयोजित की जाएंगी ताकि एक नई रणनीति तैयार की जा सके।
ओबीसी आरक्षण में भारी कटौती
डॉ. मंडल ने झारखंड में ओबीसी आरक्षण में की गई कटौती को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि झारखंड के गठन के बाद ओबीसी समुदाय का आरक्षण 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया गया। यह असंतुलन ओबीसी और मूलवासी समुदायों के अधिकारों की हकमारी का संकेत है।
झारखंड के 24 में 19 साल आदिवासियों का शासन
उन्होंने कहा कि झारखंड के गठन के बाद से अब तक 24 सालों में से 19 साल आदिवासियों का शासन रहा, लेकिन इसके बावजूद ओबीसी और मूलवासी समुदायों के विकास की अनदेखी की गई। इसके साथ ही, पिछले पांच सालों में झारखंड के संसाधनों की जमकर लूट हुई है, जिससे राज्य के आम लोगों को फायदा नहीं मिल सका है। आगामी विधानसभा चुनावों में झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा उन उम्मीदवारों का समर्थन करेगा, जो आंदोलनकारी रहे हैं और जिन्होंने झारखंड के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है।
पांच प्रमंडलों में होगी बैठकें
झारखंड आंदोलनकारी प्रभाकर तिर्की ने कहा कि उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जो पांच प्रमंडलों में बैठकें करेगी। ये बैठकें 20 से 24 अक्टूबर तक चलेंगी और इस दौरान झारखंड आंदोलन को नई दिशा देने के लिए अहम फैसले लिए जाएंगे। इस बार का विधानसभा चुनाव झारखंड के लिए निर्णायक साबित हो सकता है और यह राज्य को नई गति और दिशा देने का काम करेगा।
उच्च स्तरीय समिति में शामिल सदस्य
इस समिति में शामिल प्रमुख सदस्य हैं: सूरज मंडल, बहादुर उरांव, विनोद कुमार भगत, शफ़ीक़ आलम, जुबैर आलम, अब्दुल कलाम, अब्दुल खालिक, जयश्री दास, मानव घोष, सुखदेव, हेमराम, रामजी भगत, किनू हेमरोम, सुरेन्द्र राज, प्रभाकर तिर्की, पुष्कर महतो, ज्योतिष तिर्की, और रवि नंदी।
झारखंड के इन वरिष्ठ आंदोलनकारियों का मानना है कि उनका एकजुट होना राज्य के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।